पहला घर और Roman Empire





जब पहली बार इस बड़े से शहर के एक छोटे से इलाके में अनगिनत जेल जैसे, बिना खिड़की या बालकनी वाले कमरे देखने के बाद, एक ऐसा पीजी मिला जिसमें दो बड़ी खिड़कियाँ थीं, और उनके ठीक सामने दूसरे घर की दीवार खड़ी थी,तब मन में यह खुशी थी कि खिड़की तो है।

बारिश दिखे न सही, पर हाथ बाहर निकालने पर उसकी बूंदों को महसूस तो किया जा सकेगा। हाँ, यह और बात है कि ज़रा सा हाथ और बढ़ाऊँ तो सामने वाले घर की दीवार से टकरा जाएगा।

सरकारी घरों में बीते बचपन ने मेरे भीतर खुलेपन के प्रति एकअभिन्न लगाव पैदा कर दिया है। और मैं नहीं चाहती कि यह लगाव कभी कम हो।

मुझे लगता है कि कोई आदमी किसी दिन थका-माँदा या उदास होकर दफ़्तर से अपने घर लौटे, तो उसकी दृष्टि कुछ ही सेंटीमीटर में दीवारों के बीच कैद न होजाए। वह चाहे तो सिर उठाकर आकाश देख सके उसके बदलते हुए रंगों को, आते-जाते बादलों को अनुभव कर सके।

Wake Up Sid जैसी फ़िल्में घर खोजने की जद्दोजहद को इतना सरल बनाकर दिखाती हैं कि देखने वाले को भ्रम होजाए कि बस चार गाने और दो दृश्यके बाद अपना आशियाना हाथ लग ही जाएगा। पर असलियत में ऐसा लगता है जैसे  मानो किरायेदार कि चरित्र-परीक्षा  हो रही हो। जैसे मकान मालिकों ने ठान लिया हो कि वे ही इस समाज के असली सांचे गढ़ेंगे।

बड़ी मशक्कत के बाद मुझे Flat and Flatmates की मेहरबानी से अपना पहलाघरमिल गया
जिसमें थी मेरी एक बड़ी-सी बालकनी, जिसके सामने कोई इमारत नहीं थी, था तो बस एक खुला, असाध्य आसमान। अंदर घुसते ही एक खूबसूरत, लंबा हॉल था, और कमरे के भीतर पहुँचने पर था मेरा Roman Empire….

Roman Empire?

यह शब्द कुछ Gen-Z बुद्धिजीवियों द्वारा TikTok पर बनाया गया एक कॉन्सेप्ट है, और इसका मोटा-मोटा अर्थ है कोई भी ऐसी चीज़ जिससे आपको सम्मोहन /fascination हो।


मेरा Roman Empire है मेरे कमरे की यह खिड़की  उस पर लहराते हुए मेरे Poppy ब्लॉक प्रिंट वाले पर्दे।
उसके नीचे वह मेज़  जिस पर रखा है BITS का स्मृति-चिह्न,एक बंगाल की टेक्सटाइल से बना वह पोर्टफोलियो जो कलकत्ता से लिया था, वह बेलनाकार डब्बा जो मेरा भाई लाया था,
और मेरे परिवार की India Gate के सामने खिंची एक पुरानी तस्वीर।



टेबल के बगल में एक लैम्प है। मैं हमेशा से dim lighting की शौक़ीन रही हूँ तेज़, पैनी सफ़ेद रोशनी से मेरा कभी मेल नहीं बैठा।

ऑफ़िस से लौटकर ठीक 6 बजे चाय का कप हाथ में लिए यहाँ बैठ जानाऔर आसमान का रंग बदलते देखना, एक विशालकाय सोफ़े की तरह लगता है जो थकी हुई मुझे बिना कुछ पूछे बस अपने भीतर समा लेता है।



Too much romanticisation for the day I guess?😂

Until we meet again,

Anoushka💓

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